BA Semester-5 Paper-1 Physical Education - Athletic Injuries and Physiotherapy - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शारीरिक शिक्षा - खेलकूद चोटें एवं कायिक चिकित्सा - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शारीरिक शिक्षा - खेलकूद चोटें एवं कायिक चिकित्सा

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2805
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शारीरिक शिक्षा - खेलकूद चोटें एवं कायिक चिकित्सा - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- आसन सम्बन्धी विकृतियों से आप क्या समझते हैं? आसन सम्बन्धी विकृतियों के कारण तथा उनके उपचार का वर्णन कीजिए।

अथवा
निम्नलिखित विकृतियों के कारण एवं उपचार पर विस्तृत टिप्पणियाँ लिखिए -
(अ) कूबड़ (काइफोसिस)
(ब) रीढ़ की वक्रता (स्कोलियोसिस)
(स) अन्दर की ओर मुड़े हुए घुटने (नॉक-नी)
अथवा
आसन विकृतियों पर टिप्पणी लिखिए।
अथवा
कायफोसिस तथा स्कोलियोसिस के कारणों का संक्षप में वर्णन कीजिए तथा इन्हें दूर करने हेतु उपचारात्मक व्यायामों का सुझाव दीजिए।

उत्तर -

अनुचित आसनों का प्रयोग करने से छात्रों में अनेक प्रकार के शारीरिक दोष हो जाते हैं। अतः यह अति आवश्यक है कि विकृतियों का छोटी अवस्था में ही पता लगाया जाये और समय रहते इनका उपचार किया जाए। इन विकृतियों के विरुद्ध सही समय पर उपयुक्त कदम उठाए जाएँ। अनुचित आसनों से होने वाली सामान्य विकृतियाँ निम्नलिखित हैं-

अनुचित आसन के कारण शारीरिक दोष

(1) कुंबड़ का निकलना,
(2) अग्र कुब्जता या धंसी हुई कमर,
(3) मेरुदण्ड का अकड़ाव,
(4) कूबड़ या अग्र कुब्जता,
(5) रीढ़ की हड्डी का एक ओर झुकाव,
(6) घुटनों का मिलना और अन्दर को झुके घुटने,
(7) रिकेट्स (सूखा रोग),
(8) चपटे पैर,
(9) लघुपादत्व।

(1) कूबड़ निकलना - इस दोष में छाती की मांसपेशियाँ खिंच जाती हैं तथा छाती का  पिछला हिस्सा फैल जाता है। इस प्रकार सिर आगे की ओर झुक जाता है, वक्ष चपटा हो जाता है तथा शरीर के भार का संतुलन बिगड़ जाता है। इस दोष में पीठ और स्कन्धगोल तथा कटि प्रदेश में गड्ढा पड़ जाता है। भार का सन्तुलन ठीक करने के लिए टांगों को टखने से कुछ झुकाते हुए बाहर खोल दिया जाता है। इस प्रकार शरीर के अंगों को खोलने वाली मांसपेशियों पर अधिक जोर दिया जाता है। चित्र द्वारा शरीर की स्थिति को स्पष्ट किया जा सकता है। इसमें सेडिड माँसपेशियाँ लम्बी व काली माँसपेशियाँ छोटी हो जाती हैं।

कूबड़ निकलने के कारण - शरीर के इस दोष के साधारण कारण अनुचित आसन के कारणों में बताए गये हैं। इसके विशेष कारण अपौष्टिक भोजन, पुराने रोग, वायु का अभाव, रोशनी का अभाव, बहरापन तथा आँखों की कमजोरियाँ, अनुचित कपड़े, सूखा रोग कन्धों पर अधिक भार रखना है।

कूबड़ का उपचार व प्रबन्ध - शारीरिक आसनों का उपचार करते समय माँसपेशियों का संतुलन तथा जोड़ों का चलनशील होना चाहिए। यह तभी सम्भव है जबकि उन अंगों को सही विशेष व्यायाम दिया जाए, क्योंकि वे कार्य न करने के कारण अपनी कार्यकुशलता भूल चुके हैं। यदि हड्डियों तथा माँसपेशियों की आकृति बदल गई हो तो व्यायाम द्वारा भी दोष ठीक करना सम्भव नहीं। व्यायाम इस क्रम के अनुसार अनिवारक, सहायक, शक्तिशाली, चपल तथा सहनशील वाला होना चाहिए। कूबड़ का उपचार करते हुए हम तीन भागों को व्यायाम देते हैं-

(i) सिर तथा कन्धों की स्थिति,
(ii) कूल्हे की हड्डी से जोड़ उलटना,
(iii) शारीरिक भार का असंतुलन।

(2) अग्र कुब्जता या धँसी हुई कमर - जब पीठ का मोड़ पीछे की ओर अधिक बढ़ जाए तो कटि प्रदेश का मोड़ आगे की ओर बढ़ जाता है, जिससे पेट आगे को निकल आता है। घुटने अधिक खिंच जाते हैं तथा कूल्हे की हड्डी पीछे को झुक जाती है और शरीर का भार पंजों तथा एड़ियों की बजाय केवल एड़ियों पर आ जाता है तथा मानव शरीर का चलते-फिरते समय संतुलन बिगड़ जाता है। इस अवस्था में रोगी के शरीर की क्या स्थिति होगी इसे चित्र द्वारा स्पष्ट किया गया है।

(3) अग्रकुब्ज का उपचार व प्रबन्ध - इस दोष में रीढ़ की हड्डी की लम्बी पेशियाँ कवाड्रीसेप्स तथा पसोस का लम्बा करना तथा पेट की रैकट्स और हेमस्ट्रिग माँसपेशियों का छोटा करना है।

उपचार के लिए व्यायाम-

(i) सिट-अप - पीठ के बल जमीन पर लेट कर घुटने कूल्हे की ओर बन्द करना। दोनों हाथ सिर के पीछे कर लेना, सिर धीरे-धीरे दोनों हाथों के साथ ऊपर उठाते हुए बैठ जाना तथा अपने पैरों को पकड़ना यह क्रिया 20-25 बार दोहरानी चाहिए।

(ii) टांगों को 90° के कोण पर रोकना व घुमाना - पीठ के बल लेट कर हाथ शरीर के साथ दोनों ओर, सारे शरीर को अकड़ा कर धीरे-धीरे दोनों टांगों का 90° का कोण बनाना, कुछ देर तक वहीं रुकने के बाद टांगों को साइकिल चलाने की तरह घुमाना। यह क्रिया 10-15 बार दोहराएँ

(iii) पश्चिम उत्थान आसन - जमीन पर बैठकर, टांगें आगे को फैलाकर तथा टखने आपस में जुड़े हुए धीरे-धीरे अपने हाथों को ऊपर उठाते हुए पैर के अंगूठों को पकड़ना, कुछ देर रुकने के बाद धीरे-धीरे सिर के हाथों में से नीचे ले जाते हुए घुटनों को छूना। यह क्रिया पांच से दस बार करनी चाहिए।

(iv) उड़ियान बन्द - दोनों टांगों पर बराबर भार देते हुए अपने घुटनों पर हाथ रखकर आगे को झुकाते हुए खड़े हो जाना। फिर लम्बा साँस पहले अन्दर लेना फिर पूरा बाहर निकालते हुए रोक लेना और पेट को पीछे की ओर खींच लेना। कुछ देर रोकने के बाद साँस को बाहर निकाल देना। इस क्रिया को 4-5 बार दोहराया जाय।

(v) लेटकर उल्टी ओर जमीन पर हाथ लगाना - पीठ के बल लेट जाना, हाथ सिर के पीछे ले जाकर, कमर से शरीर को दाहिनी ओर मोड़ना और हाथों को बाईं ओर जमीन से छूना, फिर शुरू वाली स्थिति में आकर कमर को बाईं ओर मोड़ना तथा हाथों को दाईं ओर जमीन से छूना। इस क्रिया को 5 से 15 बार दोहराना चाहिए।

(3) मेरुदण्ड का अकड़ाव - यह रीढ़ की हड्डी का दोष है। जब शरीर के अंगों में लचकीलापन, चंचलता, कम या समाप्त हो जाए तो इसे मेरुदण्ड का अकड़ाव कहते हैं। ऐसी अवस्था में शरीर की हड्डियों की चेन अकड़ जाती है और कमर तथा गर्दन के भागों को झुकाते समय कष्ट होता है। अधिक समय तक बैठने की आदत व आलस्य, कमर पर चोट लगने के कारण या जब हड्डियों का रस सूख जाए तो ऐसी स्थिति आती है।

उपचार - यह दोष जोड़ों के व्यायामों द्वारा दूर हो जाते हैं, जिसमें रीढ़ की हड्डी का व्यायाम महत्त्वपूर्ण है

(i) बारी-बारी दाएँ तथा बाएँ पैर के अंगूठे को छूना - टांगों को बाहर की ओर फैलाकर खड़े होना, हाथ शरीर के दोनों ओर लटका लेना, दाहिना हाथ सिर से ऊपर उठाते हुए बाईं ओर घुमाते हुए नीचे झुकते जाएँ तथा हाथ से बाएँ पैर के अंगूठे को छुएँ, फिर आरम्भ वाली स्थिति में आ जाएँ तथा उसी प्रकार बाएँ हाथ को ऊपर उठाते हुए दाएँ ओर घुमाते हुए दाएँ पैर को छुएँ। इस क्रिया को 30-40 बार दोहराया जाए।

(ii) आगे को झुक कर जमीन को छूना - पैरों को आपस में मिलाकर सीधे खड़े हो जाएँ, फिर दोनों हाथों को सिर से ऊपर उठाकर धीरे-धीरे नीचे की ओर झुकते जाओ तथा दोनों हाथों से जमीन को छुआ। इस क्रिया को 20-25 बार दोहराएँ।

(4) कूबड़ व अग्रकुब्जता - यह दोष पहले बताए गए दोनों दोषों का मिश्रित रूप है, कई बार दोनों दोष व्यक्ति को हो जाते हैं। इसलिए इसका उपचार करते समय विशेष ध्यान रीढ़ की हड्डी पर देना चाहिए। ऐसे दोष का उपचार करते समय पहले कम दोष को दूर किया जाए, फिर अधिक दोष की ओर ध्यान दिया जाए। पहले कूबड़ को दूर करना चाहिए। इसके लिए पहले बताये गये व्यायाम हैं जो कूबड़ तथा अग्रकुब्जता या कटि प्रदेश का मोड़ ठीक करने के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं।

(5) मेरुदण्ड का एक ओर झुकना - इस दोष में रीढ़ की हड्डी दायीं व बायीं ओर झुक जाता है। कूल्हा एक ओर झुक जाता है और कन्धस्थि भी एक हो जाता है। स्वस्थ शरीर का मेरुदण्ड यदि पीठ के पीछे से देखा जाए तो यह बिल्कुल सीधा दिखाई देगा। दोषयुक्त व्यक्ति के कन्धे तथा हड्डी एक ओर झुक जाती है। ऐसी स्थिति में पीठ में दर्द, चलते-फिरते समय लंगड़ाना इस स्थिति में मेरुदण्ड C अक्षर की तरह बन जाती है। कई बार दो C अक्षर के मोड़ हो जाते हैं। टांगों का पूर्ण विकास न होने, सूखा रोग होने या ज्यादा भार उठाने के कारण ऐसी स्थिति हो जाती है।

उपचार-

(i) बार - बार व्यायाम जो कूबड़ के उपचार में बताया गया है।

(ii) दोष के उल्टी ओर झुकना - दोनों पैरों को बाहर की ओर खोल कर खड़े हों। जिस तरफ रीढ़ की हड्डी झुकी हुई है उसकी दूसरी ओर का बाजू सिर के ऊपर उठाकर कान के साथ लगाना। दूसरे हाथ को नीचे की ओर झुकाते जाना तथा हाथ से जमीन छूना, यह क्रिया 10-15 बार दोहराएँ।

(iii) पैरों को मिला कर खड़े होना। हाथ सिर के ऊपर करके झुकाव को उल्टी तरफ को झूलना। यह क्रिया कुछ समय तक करो।

(iv) ब्रेस्ट स्ट्रोक विधि से तैरने का अभ्यास करना।
(v) झुकाव के उल्टी ओर ऊँचा तकिया लेकर सोना।

(6) घुटनों का मिलना - यह टांगों की कुरूपता है जिसमें रोगी के घुटनों के अन्दर के जोड़ वाले भाग चलते तथा खड़े होते समय आपस में रगड़ खाते हैं, जिससे मनुष्य साधारण प्रकार से चल नहीं सकता, न ही ठीक से खड़ा हो सकता है, न दौड़ सकता है। इस दोष वाला व्यक्ति घुटनों के भिड़ने के डर से टांगें बाहर फैलाकर चलता है तथा उसकी चाल बेढंगी हो जाती है। ऐसे दोष वाले शरीर की टांगों के अन्दर की माँसपेशियों पर अधिक भार तथा खिंचाव पड़ता है, जिसके कारण पैर थक जाते हैं। माँसपेशियाँ कमजोर हो जाती हैं, लड़कियों की टांगों की हड्डियों का अंदर की ओर मोड़ प्राकृतिक ही है, इसलिए इसके घुटने अधिक मिलते हैं। ऐसे दोष का मुख्य कारण तंग कपड़े, लम्बी बीमारियाँ, अधिक भार या मोटापा व चपटे पैर हैं।

उपचार-

(i) मछली का तेल, सूर्य का प्रकाश, कैल्शियम तथा विटामिन 'डी' आदि काफी प्रभावित उपचार हैं।
(ii) घोड़े की सवारी, बच्चों को लकड़ी के घोड़े की सवारी कराएँ।

(iii) तेल की मालिश कर फिर टांगों के अंदर तकिया रखकर टखनों को पकड़ो तथा कुछ देर तक इस स्थिति में रहें तकिए धीरे-धीरे एक से दो बढ़ा सकते हैं।

(7) रिकेट्स रोग (सूखा रोग) - इसको शरीर का सूखापन भी कहते हैं। यह रोग प्रायः 5 वर्ष तक के बच्चों को अधिक होता है। यह रोग विटामिन 'डी', कैल्शियम, फॉस्फोरस, लवण, सूर्य के प्रकाश के अभाव व पौष्टिक भोजन, दूध, घर के अस्वस्थ वातावरण, शुद्ध वायु की कमी से होता है। इन कमियों को दूर करने से उपचार हो जाता है।

(8) चपटे पैर - चपटे पैरों में पद चाप नहीं होता। एक स्वस्थ पैर की दो प्रकार के पद चाप होती हैं। एक लम्बी एक एड़ी से अंगूठे की तरफ होती है, दूसरी आड़ी। यह बड़े अंगूठे की ओर से छोटी उंगली की ओर होती है। चपटे पैर वाले लोगों की चापें नहीं होतीं, चपटे पैरों की चाप की जगह लचकीला तथा कठोर होती है। लचकीली पद चाप चलते दौड़ते समय बन जाती हैं तथा दिखाई नहीं देती, परन्तु अपना कार्य करती हैं, कठोर पदचाप अपना कार्य नहीं करती।

चपटे पैरों की जाँच - पद चाप या पद चाप में दोष देखने के लिए रंगदार पानी में पैर डुबोकर, भूमि पर गीला पैर लगाने से उसका चित्र छप जाता है। यदि पद चाप की छाप पूरी आती है तो यह चपटा पैर होगा और यदि अंगूठे से एड़ी का भाग कुछ कटा हुआ होगा तो यह पद चाप वाला होगा।

उपचार - चपटे पैरों की माँसपेशियों को व्यायाम द्वारा कुछ लचीला बनाया जा सकता है, परन्तु इसका आकार स्वाभाविक पैर जैसा नहीं होगा।

व्यायाम-

(i) पैर सीधे रखकर शरीर का भार बाहर गिराते हुए चलना।
(ii) एड़ी उठाकर पंजों पर बैठना।
(iii) पंजे की अंगुलियों द्वारा माचिस की तीलियाँ उठाना।
(iv) तैलिया बिछाकर एक कोने में खड़े होकर सारा तौलिया पंजे के नीचे समेटना।

(v) छोटे बच्चों के विशेष जूते बनवाना, जिसमें पैर की चाप वाले स्थान को लकड़ी या किसी नर्म चीज से ऊँची करवाना।

(vi) बच्चों को रेलवे लाइन पर साइड में दाएँ व बाएँ दोनों तरफ चलाना ताकि पैर की चाप वाला हिस्सा रेलवे लाइन पर टिके।

( 9 ) लघु पादत्व - लघुपादत्व एक जन्मजात विकृति है, जिसमें पैर मुड़ जाता है और इसे जमीन पर नहीं रखा जा सकता। यह विकृति किसी चोट या लकवे के कारण भी हो सकती है। यह चार प्रकार की है-

(i) Talipes Equines - इसमें एड़ी जमीन से उठी होती है और व्यक्ति पंजों पर चलता है।

(ii) Talipes Calcaneus -  इसमें एड़ी जमीन पर टिकी होती है, लेकिन पैर का अगला हिस्सा जमीन से उठा होता है।

(iii) Talipes Varus - इसमें पैर का तलवा अंदर की ओर मुड़ा होता है और व्यक्ति पैर के बाह्य हिस्से पर चलता है।

(iv) Talipes Valgus - इसमें पैर की दशा बाहर की ओर मुड़ी होती है, जिसके कारण व्यक्ति पैर के अन्दरूनी हिस्से पर चलता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- खेलों में लगने वाली सामान्य चोटों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  2. प्रश्न- खेलों के दौरान चोटों की रोकथाम करने के सामान्य सिद्धान्त क्या हैं?
  3. प्रश्न- खेलों में चोट की अवधारणा से आप क्या समझते हैं?
  4. प्रश्न- खेलों में लगने वाली सामान्यतः चोटों के दो कारणों का उल्लेख कीजिये।
  5. प्रश्न- स्पोर्ट्स फिजियोथेरपी से आप क्या समझते हैं?
  6. प्रश्न- खेल चिकित्सा विज्ञान से आपका क्या अभिप्राय है?
  7. प्रश्न- एथलेटिक चोटों से आपका क्या अभिप्राय है? यह कितने प्रकार की होती हैं?
  8. प्रश्न- ट्रॉमेट्रिक इंजरी से आप क्या समझते हैं? इसके अन्तर्गत कौन-कौन सी चोटें आती हैं?
  9. प्रश्न- अवधि के आधार पर चोटें क्या हैं? यह कितने प्रकार की होती हैं?
  10. प्रश्न- ऐंठन (Cramp) से क्या अभिप्राय है? इसके क्या कारण हैं?
  11. प्रश्न- सनबर्न (Sunburn) से आपका क्या अभिप्राय है? इसके प्रमुख लक्षण और होने वाली समस्याओं का वर्णन कीजिये?
  12. प्रश्न- चोट लगने के क्या लक्षण होते हैं?
  13. प्रश्न- चोट लगने के जोखिम के प्रमुख कारक कौन-से हैं?
  14. प्रश्न- खेल में चोट से क्या तात्पर्य है। इसके विभिन्न भेदों का वर्णन कीजिए।
  15. प्रश्न- खेल चोटों के प्रकारों को स्पष्ट करते हुए डिसलोकेशन व स्प्रेन के कारण, लक्षण व उपचार का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  16. प्रश्न- सामान्य खेल चोटों के उपचार पर टिप्पणी लिखिए।
  17. प्रश्न- खेल में चोटों के प्रकार पर टिप्पणी लिखिए।
  18. प्रश्न- मुख्य खेल चोटें कौन-सी हैं? संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- खेल चोटें पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  20. प्रश्न- खेलों में चोटें क्या होती है?
  21. प्रश्न- स्नायुबंधन मोच से आप क्या समझते है? इसके लक्षण व निदान का वर्णन कीजिये?
  22. प्रश्न- मांसपेशिय तनाव से आप क्या समझते हैं? मांसपेशिय तनाव के कारण और निवारण से संक्षिप्त लेख लिखें।
  23. प्रश्न- टेण्डन और लिंगामेन्ट में क्या अन्तर है?
  24. प्रश्न- कन्धे की अकड़न (फ्रोजन शोल्डर) से आपका क्या अभिप्राय है? इसके लक्षणों का वर्गीकरण कीजिये?
  25. प्रश्न- पीठ (पीछे) के तनाव से आप क्या समझते हैं?
  26. प्रश्न- टेनिस एल्बो से आपका क्या अभिप्राय है? टेनिस एल्बो के लक्षण और निदान का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
  27. प्रश्न- गोल्फर की कोहनी क्या है? इसके कारण, लक्षण और निदान पर संक्षिप्त प्रकाश डालिये?
  28. प्रश्न- टेनिस एल्बो और गोल्फर एल्बो में क्या अन्तर है?
  29. प्रश्न- "धावक का घुटना" से आपका क्या अभिप्राय है? इसके लक्षणों और उपचार को समझाइये?
  30. प्रश्न- पिंडलियों में दर्द से आपका क्या अभिप्राय है? इसके कारण व लक्षणों का वर्णन कीजिये?
  31. प्रश्न- फफोले क्या हैं? इनसे बचाव के उपाय बताये?
  32. प्रश्न- छालों से आप क्या समझते हैं? छालों के कारण, लक्षण और बचाव के सामान्य उपायों को समझाइये?
  33. प्रश्न- रक्त गुल्म क्या है? इसके कारण और लक्षणों पर प्रकाश डालिये?
  34. प्रश्न- प्राथमिक सहायता से आपका क्या अभिप्राय है? इसके क्षेत्र व आवश्यक सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
  35. प्रश्न- प्राथमिक सहायक (चिकित्सक) के कर्त्तव्यों का वर्णन कीजिए।
  36. प्रश्न- प्राथमिक सहायक के गुणों पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  37. प्रश्न- एक प्राथमिक सहायता देने वाले के रूप में आप अपने मित्र की निम्न स्थितियों में कैसे सहायता करेंगे? (1) मोच (3) घाव (2) हड्डी का टूटना (अस्थि भंग) (4) सर्प दंश या साँप का काटना।
  38. प्रश्न- रक्त स्त्राव के बाह्य और आंतरिक कारणों पर प्रकाश डालिए। आप इसके लिए प्राथमिक सहायता कैसे देंगे? स्पष्ट कीजिए।
  39. प्रश्न- खिंचाव व मोच से आप क्या समझते हैं? इसकी विस्तृत विवेचना कीजिए।
  40. प्रश्न- प्राथमिक चिकित्सा में उपचार की प्राथमिकताओं का उल्लेख करते हुए इनके आवश्यक उपकरणों का वर्णन कीजिए।
  41. प्रश्न- प्राथमिक चिकित्सा की परिभाषा एवं अर्थ स्पष्ट करते हुए एक अच्छे प्राथमिक चिकित्सक के गुणों का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- 'प्राथमिक चिकित्सा' को परिभाषित कर उसके मुख्य घटकों का उल्लेख कीजिये तथा शारीरिक शिक्षा एवं खेलकूद में प्राथमिक चिकित्सा की अपरिहार्यता पर समालोचनात्मक मत प्रकट कीजिये।
  43. प्रश्न- प्राथमिक उपचार का अर्थ एवं परिभाषा स्पष्ट कीजिए।
  44. प्रश्न- प्राथमिक सहायता से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  45. प्रश्न- प्राथमिक सहायता की आवश्यकता व महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  46. प्रश्न- प्राथमिक सहायता के क्षेत्र का उल्लेख कीजिए।
  47. प्रश्न- अस्थि भंग का उल्लेख कीजिए।
  48. प्रश्न- अस्थि-विस्थापन पर टिप्पणी कीजिए।
  49. प्रश्न- प्राथमिक चिकित्सक के गुणों का वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- प्राथमिक चिकित्सक की प्राथमिकताएँ स्पष्ट कीजिए।
  51. प्रश्न- हड्डी उतरने पर प्राथमिक चिकित्सा पर टिप्पणी लिखिए।
  52. प्रश्न- W.H.O. पर टिप्पणी लिखिए।
  53. प्रश्न- आसन से आप क्या समझते हैं? अच्छे आसन की उपयोगिता की विवेचना कीजिए।
  54. प्रश्न- अनुचित आसन के कारणों, प्रभावों एवं हानियों को विस्तार से समझाइये |
  55. प्रश्न- आसन सम्बन्धी विकृतियों से आप क्या समझते हैं? आसन सम्बन्धी विकृतियों के कारण तथा उनके उपचार का वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- लार्डोसिस तथा सपाट पाँव के कारणों का उल्लेख कीजिये तथा इन्हें दूर करने के लिए उपचारात्मक व्यायामों का वर्णन कीजिये।
  57. प्रश्न- उचित आसन के क्या लाभ हैं? स्पष्ट कीजिए।
  58. प्रश्न- उचित आसन एवं अनुचित आसन से आप क्या समझते हैं? अनुचित आसन से हानियाँ स्पष्ट कीजिए।
  59. प्रश्न- अनुचित आसन के प्रमुख कारणों का उल्लेख कीजिए।
  60. प्रश्न- अग्रकुब्जता या धँसी हुई कमर विकृति पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  61. प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणियाँ लिखिए
  62. प्रश्न- आसन को समझाते हुए आसनीय विकृतियों के नाम लिखिए।
  63. प्रश्न- पीठ दर्द क्या है? पीठ दर्द क्यों होता है? इसके उपचार को सरल शब्दों में समझाये।
  64. प्रश्न- गर्दन के दर्द से आपका क्या अभिप्राय है? इसके कारण, उपचार और प्रमुख योगासन का वर्णन कीजिये।
  65. प्रश्न- अनुचित मुद्रा से कौन-कौन से विकार उत्पन्न हो जाते हैं?
  66. प्रश्न- अनुचित मुद्राओं को कैसे सुधारें?
  67. प्रश्न- सामान्य मुद्रा में सुधार के उपायों का वर्णन कीजिये?
  68. प्रश्न- अनुचित मुद्रा क्या है? इसके लक्षण बताइये।
  69. प्रश्न- पुनर्वास को परिभाषित करते हुए इसके उद्देश्य एवं क्षेत्र की व्याख्या कीजिए।
  70. प्रश्न- चोट पुनर्वास से आप क्या समझते हैं? विस्तृत विवेचना कीजिए। चोट पुनर्वास की विधियों पर टिप्पणी लिखिए।
  71. प्रश्न- खेल चोट पुनर्वास में ठण्डी चिकित्सा (क्रायोथेरेपी) की तकनीक व प्रभाव का वर्णन कीजिए।
  72. प्रश्न- आर. आई. सी. ई. से आप क्या समझते है?
  73. प्रश्न- DRABC से आपका क्या तात्पर्य है? इसके चरणों का वर्णन कीजिये?
  74. प्रश्न- शीत चिकित्सा पर टिप्पणी लिखिए।
  75. प्रश्न- पुनर्वास क्या है? पुनर्वास काउंसिल ऑफ इंडिया का रोल स्पष्ट कीजिए।
  76. प्रश्न- चोट पुनर्वास के लक्ष्य स्पष्ट कीजिए।
  77. प्रश्न- पट्टियों के प्रकार की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  78. प्रश्न- टैपिंग क्या है? इसके उद्देश्य, और सिद्धान्तों का संक्षेप में वर्णन कीजिये।
  79. प्रश्न- इलास्टिक चिकित्सीय टेप क्या है?
  80. प्रश्न- कायिक चिकित्सा' शब्द को परिभाषित कीजिए और इसके सहायक सिद्धान्तों को विस्तार से लिखिए।
  81. प्रश्न- शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में 'कायिक चिकित्सा' का क्या महत्त्व है?
  82. प्रश्न- कायिक चिकित्सा का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  83. प्रश्न- कायिक चिकित्सा के महत्त्व का वर्णन कीजिए।
  84. प्रश्न- प्रतिरोधी व्यायाम को स्पष्ट करते हुए इसकी तकनीकी का वर्णन कीजिए।
  85. प्रश्न- मालिश से क्या समझते हैं? मालिश के सामान्य विचारों के बारे में संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- मालिश के प्रकार को दर्शाते हुए किन्हीं चार प्रकारों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- मालिश के प्रभाव से आप क्या समझते हैं? शरीर के विभिन्न अंगों पर पड़ने वाले प्रभाव का वर्णन कीजिए।
  88. प्रश्न- मालिश के निम्न प्रकारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए-
  89. प्रश्न- मालिश का परिचय दीजिए।
  90. प्रश्न- मालिश के संक्षिप्त इतिहास का वर्णन कीजिए।
  91. प्रश्न- रगड़ पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  92. प्रश्न- मालिश के रक्त संचरण व पेशी तंत्र पर पड़ने वाले प्रभाव को लिखिए।
  93. प्रश्न- मालिश के सिद्धान्त पर टिप्पणी लिखिए। मालिश के सिद्धान्त क्या हैं?
  94. प्रश्न- मालिश के प्रतिषेध से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  95. प्रश्न- खेलों में मालिश पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  96. प्रश्न- जल चिकित्सा का अर्थ एवं इसका उपयोग स्पष्ट कीजिए।
  97. प्रश्न- शीत चिकित्सा या क्रायोथ्रेपी से आप क्या समझते हैं? शीत चिकित्सा की उपचार तकनीक और इलाज में उपयोग एवं प्रभाव की विवेचना कीजिए।
  98. प्रश्न- थर्मोथैरेपी उपचार के परिचय और प्रदर्शन के बारे में लिखिए।
  99. प्रश्न- थर्मोथैरेपी पर टिप्पणी लिखिए।
  100. प्रश्न- सौना स्नान का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- ठंडा और गर्म स्नान पर टिप्पणी लिखिए।
  102. प्रश्न- 'भंवर स्नान' चिकित्सा विधि का उल्लेख कीजिए।
  103. प्रश्न- भाप स्नान से आप क्या समझते हैं? इसके लाभ का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  104. प्रश्न- विद्युत चिकित्सा एवं अवरक्त चिकित्सा से आप क्या समझते हैं? इन्फ्रारेड किरणों के साथ चिकित्सा उपचार का वर्णन कीजिए।
  105. प्रश्न- डायथर्मी चिकित्सा से आपका क्या अभिप्राय है? डायधर्मी के प्रकार का वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- पराबैंगनी किरणों से आप क्या समझते हैं? परागबैंगनी किरणों के द्वारा उपचार का वर्णन कीजिए।
  107. प्रश्न- विद्युत चिकित्सा पर टिप्पणी लिखिए।
  108. प्रश्न- अल्प तरंग डायथर्मी का वर्णन कीजिए।
  109. प्रश्न- इन्फ्रारेड किरणों का लाभ स्पष्ट कीजिए।
  110. प्रश्न- शार्ट वेव डायथर्मी के उपयोग को स्पष्ट कीजिए।
  111. प्रश्न- उपचारिक व्यायाम के क्षेत्र और वर्गीकरण की विवेचना कीजिए।
  112. प्रश्न- उपचारिक व्यायाम को परिभाषित कीजिए और इसके सिद्धान्तों एवं नियमों की विवेचना कीजिए।
  113. प्रश्न- मांसपेशियों के पुनर्वास और मजबूती के लिये योग आसन के साथ चिकित्सीय महत्व का वर्णन कीजिये।
  114. प्रश्न- योग में पुनर्वास क्या है? समझाइये?
  115. प्रश्न- उपचारिक व्यायाम के विभिन्न उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
  116. प्रश्न- उपचारिक व्यायामों का प्रभाव स्पष्ट कीजिए।
  117. प्रश्न- प्रतिरोधी व्यायाम से आप क्या समझते हैं? प्रतिरोधी व्यायाम की तकनीक को स्पष्ट कीजिए।
  118. प्रश्न- मुक्त व्यायाम की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  119. प्रश्न- पुनर्वास क्या है इसकी आवश्यकता किन रोगों में होती है?
  120. प्रश्न- योग हमारे जीवन को किस प्रकार प्रभावित करता है?
  121. प्रश्न- ताड़ासन का संक्षेप में वर्णन कीजिये?
  122. प्रश्न- कुक्कुटासन की विधि और लाभ वर्णन कीजिये।

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